कल उस का जन्मदिन था ये मैं भूल चूका था और इस में याद रखने लायक शायद अब वो मसाला बचा भी नहीं था क्यूंकि ज़िन्दगी आगे नहीं बहुत आगे बढ़ चुकी थी, और उस की याद दिलाने वाले दोस्त,गिफ्ट,पुरानी डायरियां,शायरियां,कवितायेँ सब कुछ बिखर चुके थे, और मुझे यादों के पन्ने पलटने में मजा नहीं आता तो वहां से भी उस की यादों के कुछ सिग्नल नहीं आते....
मैं कल शाम को यूँ
ही घुमने निकल पड़ा,शाम को बाज़ार में चहल पहल थी,शहर के बीचों बीच में बची कुछ हरियाली
की प्रतियों जिसे शायद लोग पार्क कहते हैं को देखने का मन हुआ,मैंने पार्क के बाहर
अपनी गाडी खड़ी की और अन्दर घुमने लगा, एक चक्कर भी पूरा नहीं किया पता नहीं क्यूँ
हलचल थी अन्दर, किस बात की पता नहीं,मन नहीं लगा और चाय पीने की तलब लगी, मैं बाहर
आ गया और पार्क के ही पास एक रेस्टोरेंट की तरफ चल पडा, वो गप्पे बाज़ी का एक अड्डा
हुआ करता था कभी हमारा,उस की चाय में अजीब सा नशा था जो हर बार दिमाग की वीणा के
हर तार को हिला कर रख देता था, कभी शराब तो नहीं पी पर गारंटी के साथ कह सकता हूँ
शराब में भी उस चाय के जैसा नशा नहीं होगा...
मैं जैसे ही वहां
पंहुचा और अपनी कोने वाली सीट तलाशने लगा और किस्मत से वो खाली भी मिल गयी,वो सीट
खिड़की के नजदीक थी और उस का एक अलग ही मजा था मैंने चाय आर्डर की,और इन्तजार करने
लगा इसी दौरान व्हाट्स एप में आये खुच आलतू फालतू मेसेजों पर नज़र डालने लगा,तभी
अन्दर वाले हॉल से जोर जोर से गानों और हू हल्ला की आवाजें आने लगी, वो आवाजें
परेशान कर रही थी पर मना नहीं कर सकता था| और अचानक मेरा पुराना दोस्त निशांत हॉल
से बाहर निकला और उस ने मुझे देख लिया, अरे बिमल कैसा है ?? और तू यहाँ?? मुझे
थोडा पहचानने में वक़्त लगा पर याद आया कि ये मेरे कॉलेज का था जिस से ज्यादा बात
चीत नहीं थी| मैंने कहा मैं ठीक हूँ पर तू यहाँ कैसे ?? उस ने कहा ये सब छोड़ तू
रिया की पार्टी में आया है न तो बाहर क्यूँ बैठा है? मैंने उसे कहा नहीं यार उस से
तो अब कोई कांटेक्ट नहीं है ब्रेकअप के बाद तो कभी मुलाकात भी नहीं हुई....
वो जिद्द करने लगा
कि चल अन्दर पार्टी में चल कई और दोस्त भी हैं, मैंने कहा नहीं यार छोड़ और मुझे
किसी काम से जल्दी निकलना है समझ... उस ने थोडा जिद्द की पर मैं भी अडिग रहा और वो
अन्दर चला गया, आर्डर की हुई चाय आने में थोडा वक़्त लग रहा था पर निशांत अन्दर जा
कर पूरा रायता फैला चूका था और मेरे कई दोस्त मुझ से मिलने बाहर आ गये अच्छा भी लग
रहा था पुराने दोस्तों से मिलकर पर मेरी वजह से किसी की पार्टी के मेहमान बिखर रहे
हैं इस बात का बुरा भी लग रहा था सब मुझे अन्दर पार्टी में ली जाने की बात कह रहे
थे पर मैं भी जिद्दी था नहीं जा रहा था और मैं मन ही मन सोच भी रहा था कि कहा फंस
गया तभी रिया बाहर आ गयी....
दिमाग के घंटे बजने
लगे,पन्ने पलटने लगे यादों के और भी बहुत कुछ पर खुद को सम्हाला मैंने पूरे सात
साल बाद उसे देख रहा था ज्यादा नहीं बदली थी वो,बस्स थोडा और सुन्दर हो गयी थी|
मैं उसे देख के जम सा गया था पर वो नार्मल थी, किस्से मसहूर थे हम दोनों के और
ब्रेकअप भी धमाकेदार हुआ था तो सारी नज़रें हम दोनों को ही देख रही थी उस ने स्माइल
दी मुझे और हेल्लो कहा पर मैं तो जैम ही गया था तो हाय भी नहीं कह पाया, थोडा
मेहनत कर के गर्दन हिला दी और बहुत ज्यादा कोशिश कर के थोडा स्माइल देने की कोशिश
की, उस ने कहा बिमल हमे ज्वाइन करो मेरे बर्थ डे की पार्टी है, यादों का वो पन्ना
पलटा जब उसे पहला बिर्थ डे विश मैं करता था, कोई और न कर पाए इस लिए 11:30 से ही उस से बात करता था, खैर मैंने उए बिर्थ डे विश किया और मेरे न चाहते हुए
भी मेरे दोस्तों ने मुझे उठा लिया और अन्दर पार्टी हॉल में ले गये मैं बहुत ज्यादा
अनकम्फटेबल फील कर रहा था, उतने बन्दों की भीड़ में भी अकेला महसूस कर रहा था और
शायद ये रिया की नज़रों ने पकड़ लिए उसे पता ही था कि मुझे भीड़ पसंद नहीं और उस ने
मुझ कोल्ड ड्रिंक का गिलास पकडाया मैंने थैंक्स कहा और हाल चाल पूछे, उस की आँखों
में टप् टप् आंसूं गिरने लगे, और उस ने कहा बिमल तुम्हारी एक नासमझी ने मुझे और
तुम्हे कितना दूर कर दिया तुम गये और पीछे मुड़ कर नहीं देखा,मैं आज भी तुम्हे
प्यार करती हूँ..
मैंने उस के आंसू साफ़ किये मैंने उसे कहा बर्थ डे के दिन नहीं
रोते, और पुरानी बातें भूल जाओ जो होता है अच्छे के लिए ही होता है हम साथ कभी
नहीं रह पाते, और फैसला करने को तुमने मुझे कहा था कि अपनी कलम और मुझ में से चुन
लो मैं तो तुम दोनों को ही एक साथ प्यार करता था, और तहे दिल से करता था, और शायद
अगर तुम उस दिन वो सब न करती तो न मैं दुनिया घूम पाता और न ही ये सब लिख पाता...
आज मैं जो कुछ भी हूँ तुम्हारे उस फैसले से ही हूँ....मैं अब तुम्हारी ज़िन्दगी में
आना चाहती हूँ.... नहीं रिया बहुत देर हो चुकी है शायद अब मेरे दिल में वो प्यार
नहीं रहा....बिमल मैं वो प्यार पैदा कर लूंगी ..नहीं रिया बहुत देर हो चुकी है अब
.... तुम अब सिर्फ मेरी कहानियों का हिस्सा हो मेरी ज़िन्दगी का नहीं... मैंने जेब
में हाथ डाला तो एक बेशकीमती पेन पडा था मैंने रिया को वो देते हुए कहा ये मेरी
तरफ से गिफ्ट है तुम्हारे लिए और जल्द ही मैं चला जाऊंगा देश छोड़ कर मन हो तो इसे
अपने पास रखना उस ने अपने आंसुओं को पोछते हुए कहा बिमल दे भी वो चीज रहे हो जिस
ने तुम्हे मुझ से जुदा किया खैर रख लूंगी... मैंने उसे आखरी बार गले लगाया,वो हटना
नहीं चाहती थी पर खुद को उस से किनारे किया और सब को बाय करने को हुआ पर अपने अपने
डांस में सब मस्त थे तो नहीं कर पाया.. रात बढ़ रही थी ठंडक भी थी मैंने गाड़ी
स्टार्ट की और घर की तरफ बढ़ गया लगा कि बहुत कुछ छोड़ के आगे बढ़ रहा हूँ पर इसे तो
मैं कब का छोड़ चूका था किस्मत ने दुबारा मिलाने की शायद कोशिश की थी.... खैर छोड़ो पुरानी
ज़िन्दगी के पन्ने पलटने की आदत मेरी तब भी नहीं थी और अब भी नहीं इसे भी एक कहानी
में बदल कर किस्सा ख़त्म कर दूंगा....मैं घर पहुँच चूका था और पीछे बहुत कुछ छुट
चूका था जिसे मैं समेटना नहीं चाहता था
http://www.alwidaa.blogspot.in/
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