हम दोनों ही उड़ना चाहते थे अपने अपने आसमानों में ...इसी लिए शायद दो
साल पहले महसूस हुआ कि हम दोनों की उड़ान और आसमान अलग है जिसे साथ रह कर नहीं पाया
जा सकता ...उसे जल्दी थी और मैं सही वक़्त के लिए खुद को तैयार कर रहा था | अपने
अपने आसमानों की ख्वाइश लिए हम दोनों ने ही एक दूसरे को अलविदा कह दिया था |
भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में महसूस हुआ कि दोस्त लोग विदेश जा रहे हैं
कुछ नौकरी करने ,कुछ घूमने और कुछ अपने हनीमून पर ...अपनी ज़िन्दगी पर हल्का सा
मुस्कुरा कर सोचा विदेश का तो अभी पता नहीं चलो पासपोर्ट तो बना ही दें ... अलमारी
में पड़ा रहेगा पर एक अलग रौब तो होगा |
ऑनलाइन अप्लाई किया और अपने हिसाब का एक दिन खोज के अपॉइंटमेंट ले
लिया | पासपोर्ट ऑफिस सिर्फ मोबाइल पर आये मैसेज के साथ पहुँच गया तो टोकन काउंटर
पर बैठी लड़की ने फोटोस्टेट वाले काउंटर को दिखाते हुए कहा कि वहाँ से एस.एम्.एस.
फॉर्म लेकर उसे भर दीजिये और फिर इस काउंटर पर अपने डॉक्यूमेंट चेक करवा दीजिये |
मैंने वो एस.एम्.एस. फॉर्म 2 की जगह 5 रूपये में ख़रीदा क्यूंकि शायद उस के पास
छुट्टे नहीं थे या ये भी पॉसिबल है कि वो पैसे ही न लौटाना चाहती हो खैर मैंने
ज्यादा ध्यान नहीं दिया और बाकी के 3 रूपये उसे ही रखने को कह कर फॉर्म ले लिया |
वो फॉर्म लेकर मैं लिखने को बने प्लेटफॉर्म की तरफ बढ़ा और अपने जेब
से कुछ देर पहले ही ख़रीदे 5 रूपये के नीले पेन से भरने लगा | मैं फॉर्म भर ही रहा
था कि अचानक गेट से जाने पहचाने चेहरे ने एंट्री ली | मैं थोडा झटके में था कि
इत्तेफाक से ही क्यूँ मिलना होता है ? शायद क्या उस ने भी मुझे देख लिया था जिसकी उस
को ज्यादा ख़ुशी नहीं ही थी | हम दोनों एक दूसरे से अनजान ही बने रहे |
डॉक्यूमेंट चेक कराने की लाइन में उस के और मेरे बीच 1 आदमीं का फर्क
था | तभी नए काउंटर पर एक लड़की बैठी और उस ने कहा कि आधे लोग यहाँ चेक करवा लो तो
मेरे सामने वाले ने उस नई लाइन में पहला नंबर लगा दिया और दूसरा मेरा नंबर था | हम
दोनों अब अगल बगल खड़े थे चाहे हम दोनों के बीच 20 सेंटी मीटर का भी फासला न था पर
दूरियां कई गलतफहमियों और अपने अपने नज़रिये की थी | अगल बगल खड़े हो कर भी अनजानापन
बना रहा |
मेरे डॉक्यूमेंट पहले चेक हो चुके थे उस में शायद कुछ मसला आ रहा था
तो उसे वक़्त लगा | मैं अब दूसरे कमरे में आ चुका था और फोटो खिंचने का इंतजार करने
लगा जिसके लिए मुझे बमुश्किल 5 मिनट का इंतजार करना पड़ा मैं अपना दूसरा स्टेप पूरा
करके तीसरे स्टेप की तरफ बड़ा जिसे पूरा होने में भी 5 मिनट लगे | मैं अपने अगले और
आखिरी स्टेप के इंतजार के लिए एक ऐसी जगह खड़ा हुआ जहाँ से मैं उसकी फोटो खिंचते
देख रहा था और लाखों बेफजूली सवालों को अपने दिमाग मैं पैदा और दफ़न कर रहा था |
उस का भी दूसरा और तीसरा स्टेप जल्दी हो गया यहाँ मुझे उस के और अपने
कोड नंबर में फर्क नज़र आया और समझ आया कि उसे इस बार भी जल्दी थी वो तत्काल में
पासपोर्ट बना रही थी और मैं इस बार भी सिर्फ खुद को तैयार कर रहा था | तत्काल
वालों को पहले तवज्जो मिलता है , पहला क्यूंकि शायद उनका वक़्त ज्यादा कीमती है
दूसरा शायद उन्होंने कीमत ज्यादा चुकाई है | आधे घंटे बाद ही उस का फाइनल स्टेप का
नंबर आ गया उस ने अपने डॉक्यूमेंट चेक करवाए और आगे बढ़ गयी एग्जिट गेट की तरफ ,
मैं ये सब करते हुए देख रहा था |
मेरा नंबर उस के जाने के पूरे दो घंटे बाद आया क्यूंकि शायद सोचने
वालों को सरकारी लोग भी वक़्त खूब देते हैं , भाई सोच ले तू सही तो कर रहा है न |
उस के बारे में सोच रहा था मैं, उस इंतजार के वक़्त में कि एक वक़्त था जब हम दोनों
के बीच के सारे रस्ते एक दूसरे से जुड़े थे और एक आज का वक़्त है जब हम दोनों के बीच
एक शब्द भी बदले नहीं गये |
इन सब बातों में जो बिल्कुल भी नहीं बदला था वो ये कि उसे इस बार भी पूरी
जल्दी थी और मैं इस बार भी वक़्त लेकर सोच रहा था और यही बात हम दोनों के
सपनों,आसमानों और रास्तों को अलग अलग कर चुकी थी |
मेरा नंबर उस के जाने के पूरे दो घंटे बाद आया क्यूंकि शायद सोचने वालों को सरकारी लोग भी वक़्त खूब देते हैं , भाई सोच ले तू सही तो कर रहा है न | उस के बारे में सोच रहा था मैं, उस इंतजार के वक़्त में कि एक वक़्त था जब हम दोनों के बीच के सारे रस्ते एक दूसरे से जुड़े थे और एक आज का वक़्त है जब हम दोनों के बीच एक शब्द भी बदले नहीं गये |
ReplyDeletecricut designs
cricut explore one
design.cricut
Daily World Info