सब कुछ सह के कुछ न कहना मुझ को अच्छा लगता है ...
उस को पाने का खाव्ब ...एक खाव्ब सा मुझ को लगता है ....
बिखर चूका एक खाव्ब ...जो खाव्ब था उस को पाने का ...
अब तो वो खाव्ब कुछ सच्चा कुछ झूठा मुझ को लगता है ...
जज्बातों का खेल ही सच्चा लगता है .....
इस के साथ ही जीना...और..मरना अच्छा लगता है