मेरे सवाल और देशद्रोह


मैंने पूछा कि ये सड़क क्यूँ सालों से नहीं बन रही ?
उस ने कहा चुप रहो, वहां सीमा पे जवान मर रहे हैं और तुम्हें सड़क की पड़ी है |
मैं चुप हो गया ||


मैंने पूछा लाखों बच्चे स्कूल क्यूँ नहीं जा पा रहे ?
उस ने कहा चुप रहो वहां सीमा पे जवान मर रहे हैं और तुम्हे बच्चों के स्कूल की पड़ी है |
मैं चुप हो गया ||


मैंने पूछा लाखों युवा बेरोजगार क्यूँ हैं ?
उस ने कहा देशद्रोही कहीं के चुप हो जाओ, वहां सीमा पे जवान मर रहे हैं और तुम्हें युवाओं की पड़ी है |
मैं चुप हो गया ||


मैंने पूछा माजरा क्या है कि अपने ही देश में हम सुरक्षित नहीं हैं ?
उस ने कहा कि खामोश ,वहां सीमा पे जवान मर रहे और तुम्हें खुद की सुरक्षा की पड़ी है |
मैं चुप हो गया ||


मैंने जानना चाहा कि देश में इतना भ्रष्टाचार क्यूँ है ?
उस ने कहा तू राष्ट्रद्रोही है ,वहां सीमा पे जवान मर रहे और तुम्हें भ्रष्टाचार की पड़ी है |
और मैं इस बार भी चुप हो गया |


मैंने कहा इतने बड़े बजट के बाद भी सीमा पे जवानों को सही खाना क्यूँ नहीं मिल रहा ?
उस ने कहा चुप हो जा वहां सीमा पे जवान मर रहे हैं और तुझे उन के खाने की पड़ी है ?
मैंने कहा भाई मेरा सवाल भी तो वही है कि क्यूँ सीमा पे जवान भूखे पेट मर रहा है?
उस ने फिर कोई जवाब नहीं दिया .....
और मुझे देशद्रोही का सर्टिफिकेट जारी कर दिया
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प्यार की पाती || लव मैरेज अरेंज मैरिज और कुछ उखाड़ना

Hey #UNKNOWN

हाँ क्यूंकि अभी तुम्हारा अता पता दोनों ही लापता है | सुनो 2017 का Happy Valentine day  , अरे घबराओ नहीं तुम जिस साल भी मुझ से मिलो तो मैं तुम्हे अपनी ज़िन्दगी के पहले साल से लेकर उस साल जिस साल तुम मुझे मिलोगी तब तक के सारे वैलेंटाइन डे विश कर दूंगा और सिर्फ वैलेंटाइन डे ही क्यूँ हम तो पूरे साल इश्क का त्यौहार मनाएंगे |

मैं पिछले हफ्ते कुछ यूथ से बात कर रहा था . मुद्दे की बात पर लाने के लिए मैं अक्सर मुद्दे से अच्छी तरह से भटका के बात शुरू करता हूँ तो फिर टॉपिक पर लाना आसान रहता हैं | एक ने मुझ से पूछा सर अरेंज मैरिज और लव मैरेज में क्या फर्क है ? मैंने कहा यार एक उम्र तक स्कूल में कॉलेज में हम बहुत ट्राय करते हैं | कुछ से पट जाती है और लम्बी पटती है और फाइनली दोनों शादी कर लेते हैं तो उसे लव मैरिज कहते हैं, हाँ लव के मैरिज तक पहुँचने के बीच काफी अलग अलग तरह के मैलो ड्रामा भी होते हैं पर उन ड्रामों का किरदार बनने के बाद जब नाटक ख़त्म होता है तो विजेता ट्रॉफी यानि तुम्हारी लवर तुम्हारी धर्म पत्नी तुम्हारे पास होती है |

तो सर फिर अरेंज मैरिज क्या है ? एक ने बड़ी मासूमियत से पूछा तो मैंने जवाब दिया भाई जब अपने पूरे बचपन और जवानी में तुमसे कुछ नहीं उखाड़ता , किसी ने तुम्हे कभी घास नी डाला होता या कभी तुम्हारे दिल के प्यार के बीज को सामने की तरफ से खाद पानी और मिटटी नहीं मिलती तो तुम अपने घर वालों को अपनी जगह पर उखाड़ने भेजते हो | और जब वो तुम्हारे लिए कुछ उखाड़ देते हैं और तब उनकी मेहनत पर तुम बिजेता ट्रॉफी लेकर भीड़ के सामने फोटो खिचवाते हो तो उसे अरेंज मैरिज कहते हैं |

उस्ताद बनने की कोशिश में एक ने सवाल दागा सर मैं समझ गया अच्छे से पर क्या कुछ उखाड़ना जरुरी है ? भाई मेरे कुछ नया और अच्छा लगाने के लिए पुराना उखाड़ना बहुत जरुरी है ... मैं हाज़िर जवाबी दिखाते हुए कहा |

सुनो यार मुझे अब लगने लगा है कि इतने सालों में मैं भी कुछ नी उखाड़ पाया और मैंने तो वैसे भी हिमांचली सेब को देहरादून की जमीन पे उगाना चाहा कहाँ से कुछ उगता कुछ ? भारत के कोने कोने की जमीन को कुछ उखाड़ने के लिए तलाशा पर शायद मिटटी कुछ ज्यादा ही शख्त थी ... खैर

इंतजार है तुम्हारा वैसा ही जैसे एक बिखरे बालों को समेटने वाली क्लिप या बैंड का .. इंतजार है तुम्हारा मुझे अपने किस्से कहानियां समेटने के लिए , इन्तजार है तुम्हारा मुझे उस स्वेटर को बुनने के लिए जिसकी आखिरी सलाई तुम हो | इंतजार है मुझे तुम्हारा ऑनलाइन बैंकिंग के #OTP पासवर्ड की तरफ जिस के बिना हम कभी शौपिंग नहीं कर सकते ... इंतजार है मुझे तुम्हारा....
ये शायद मेरा तरीका हो कुछ उखाड़ने का ....अपने घर वालों को कुछ उखाड़ने भेजने से पहले ...



तुम्हारा
कुछ भी बुला लेना प्यार से तुम्हारी मर्ज़ी
J
        
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ज़िन्दगी के नाम ख़त || पाना खोना और खोना पाना दोनों के मतलब

डियर ज़िन्दगी..
पता नहीं कभी तुम्हे किसी ने ख़त लिखा या नहीं , पर आज मेरा मन हुआ तुमसे बतियाने का | सोचा तो नहीं कि किस स्पेशल टॉपिक पर तुमसे बात करूँ ....

मैं ऊँचे पहाड़ों के बीच रहता हूँ ,यहाँ नदियाँ हैं, झरने हैं, बर्फ से ढकी वादियाँ हैं , पहाड़ के सीधे लोग हैं और हर पहाड़ की चोटी पर किसी न किसी भगवान् का मंदिर है | कहते हैं पहाड़ों पर बच के रहना चाहिए, कभी ऊँची आवाज़ में गाना नहीं चाहिए कभी बांसुरी नहीं बजाना चाहिए कभी जोर से गुनगुनाना नहीं चाहिए क्यूंकि पहाड़ों में आछरियाँ(परियां) रहती हैं | उन्हें ये सब चीजें पसंद हैं तो जो भी ये सब करता है उसे हर (अपहरण) कर के ले जाती हैं |

मेरा भी मन करता है कभी कभी कि मिलूं उन आछरियों से बात करूँ उन से, कुछ एक बालगीत सुनाऊँ उन्हें ...पता नहीं उन्हें बालगीत पसंद आयेंगे या नहीं हा हा हा ... सूरज के देश में चंदा के गाँव में .... या फिर ... सूरज गोल चंदा गोल... या कोई कहानी सुना दूंगा उन्हें अपनी लिखी कोई... मैं बादलों में उड़ना चाहता हूँ उन के साथ... ऊँचे से ऊँचे पहाड़ों को छूना चाहता हूँ उन के साथ... और मन हुआ तो फिर लौट आऊंगा फिर अपनी इस ज़िन्दगी में वापस ...और हाँ उन्होंने छोड़ा तो, क्यूंकि सारी कहानियों में हरण करने की कहानियां तो हैं पर लौटने की कहानियां एक भी नहीं....

किसी भी पल को महसूस करना एक अलग एहसास है , मुसाफिर बने रहने के चक्कर में ज़िन्दगी तुम और  दुनियां दोनों ही पीछे छुटती गयी | छोटे बच्चों को जिद्द करते देखा ही होगा तुमने कुछ आंसू गिराए नहीं कि सारी दुनिया चल पड़ती है उन ज़िद्दों को पूरा करने और आंसुओं को साफ़ करने , पता अब वो दिन याद आते हैं क्यूंकि बड़े होक हम जिद्द नहीं कर पाते क्यूंकि अब आंसुओं के सैलाब भी किसी का दिल नहीं पिघला पाते |

ज़िन्दगी बहुत खुबसूरत हो तुम पर तुम्हारी खुबसूरती की कीमत बहुत भारी भरकम है | मकड़ी का जाला हो तुम फंस जाते हैं इसमें सारे | पाना खोना और खोना पाना दोनों के मतलब हिंदी की किताब के हिसाब से तो एक ही हैं पर तेरी हिसाब से बिल्कुल अलग |

मैं अकेला पहाड़ों, नदियों से बातें करता हूँ वो जवाब भी देते हैं वो ज्यादा अच्छे हैं वो धोखा नहीं देते कभी मजाक नहीं उड़ाते कभी , वो सब कुछ सुनते हैं , वो बहुत अच्छे हैं |

ज़िन्दगी वक़्त के पन्ने पलट के मुझे बचपन में पहुंचा दे आज ही जहाँ कीमत है आंसुओं की.... शायद बहुत से रिश्ते ज़िद्दों में ही पा लें हम जो हम ने खो दिए हैं जाने अनजाने पाने,खोने और खोने पाने के चक्कर में...
आज इतना ही कभी और फिर गुफ्तगू करेंगे ...
तुम्हारा
ज़ज्बात ए बिमल 
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