मेरे पिता और उनकी किच किच


मेरे पिता किच किच करते थे  ,
मेरे पिता किच किच करते थे ,जब मैं पढता नहीं था  |
जब मैं खाना सही से नहीं खाता था |
जब मैं क्लास में पीछे बैठता था |
जब वो मेरा झूट पकड़ते थे |
जब मैं स्कूल नहीं जाना चाहता था |
जब मैं एक्स्ट्रा पॉकेट मनी मांगता था |
जब मैं डॉ. नहीं बनना चाहता था |
जब मैं उन्हें अपने सपने सुनाता था
एक दिन मैंने अपने पापा से किच किच की उनकी किच किच पर
उन्हें समझाया कि मेरी किच किच के मायने क्या हैं ?
उन्हें दिखाया कि उनकी किच किच मेरी किच किच से कैसे अलग है ?
उन्हें बताया कि जायज़ है उनकी किच किच भी ,
पर हर बार दोनों की किच किच एक हो जरुरी तो नहीं |
वक़्त लगा उन्हें किच किचो के इस दौर में मेरी किच किच को समझने में |
और आज 
मेरे पिता अब भी किच किच करते हैं
जब मैं अपने सपनों से भटकने लगता हूँ |
जब मैं रुक जाता हूँ ठोकर खा कर |
जब मैं सफलता के मद में चूर हो जाता हूँ |
जब मैं खुद से किये वादों तो तोड़ने लगता हूँ
जब मैं दायरों में बांधने लगता हूँ खुद को |
जब मैं थकने लगता हूँ  |
एक दिन मैंने अपने पापा से किच किच की उनकी किच किच पर   
पर इस बार मेरे पापा ने मुझे समझाया कि इस किच किच के मायने क्या हैं ?
उन्होंने दिखाया कि इस किच किच पर उनका नजरिया क्या है ?
इस बार मुझे बताया कि ये किच किच कैसे मुझे ज़िन्दगी की बड़ी लडाइयों के लिए तैयार करेगी ?
और इस बार थोडा मैंने ज्यादा किच किच किया और वक़्त लगाया उनकी किच किच को समझने में
और आज मैं समझता हूँ कि क्यूँ जरुरी है ये किच किच
और मैं चाहता हूँ मेरे पिता ताउम्र यूँ ही किच किच करते रहें 
क्यूंकि उनकी किच किच जरुरी है ताकि मेरी ज़िन्दगी में किच किच न हो |  



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ईद और नया परिवार

मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं कि कोई बार बार पैकेजिंग यूनिट को रोक के आधे आधे घंटे का आराम फरमाए | मैं पिछले एक 15 दिन से तुम लोगों का ये ड्रामा देख रही हूँ , नयी हूँ इस कंपनी में इस का मतलब ये बिलकुल नहीं है कि कुछ नहीं कहूँगी .... नमिता पैकेजिंग यूनिट के सुपरवाइजर पे एक तरफ़ा चिल्लाते हुए बोली और बिना कुछ सुने दरवाज़े को पीटते हुए अपने केबिन में चली गयी |
उस के इस गुस्से को देख कर सुपरवाइजर ने सब को काम पर वापस लगा दिया और दवाइयों के पैकेट कॉटन बॉक्स में भर के स्टोर रूम को जाने लगे |
आरव अपने केबिन में बैठे ये सब देख रहा था , उस ने इण्टरकॉम से कॉल करके नमिता को केबिन में बुलाया |
May I come in sir  ? नमिता ने पूछा
Yes , please come in . आरव ने कहा
तो नमिता कैसा चल रहा है सब ? कैसा लग रहा है यहाँ ? आरव ने बैठने का इशारा करते हुए कहा |
अच्छा चल रहा है सर , सीख रही हूँ बहुत कुछ ... नमिता ने जवाब देते हुए कहा
कोई बात लगी यहाँ ? आरव ने फिर सवाल किया
नहीं सर कोई ख़ास नहीं काफी अच्छी टीम है | नमिता ने कम शब्दों में ही जवाब दिया
क्या सच में तुम्हें कुछ अलग नहीं लगता ? आरव ने सवालों के कटघरे में नमिता को घेरते हुए कहा
सर लगता तो है पर मुझे नहीं पता कि इसे कहना कैसे है ? नमिता ने डरते डरते कहा 

अरे खुल के बताओ ... आरव ने उस के डर पहचानते हुए कहा

सर मुझे दिक्कत होती है अपनी टीम के साथ वो काम कम और आराम ज्यादा करती है ? नमिता ने एक साँस में कहा
पर पिछले तीन सालों से पैकेजिंग डिपार्टमेंट ही बेस्ट टीम का अवार्ड ले जा रहा है और उनकी वजह से कंपनी का मुनाफा भी बढ़ा है | आरव ने आराम से कहा
पर सर ... नमिता ने थोडा परेशान हो कर कहा 

एक काम करो नमिता तुम तो नाईपर मोहाली की पास आउट हो न पता लगाओ कि क्या है ऐसा पैकेजिंग डिपार्टमेंट में जो वो पिछले इतने सालों से बेस्ट है ? आरव ने टास्क देते हुए कहा

ठीक है सर मैं एक हफ्ते बाद आप को जवाब दूंगी | नमिता ने सीट से उठते हुए कहा
नमिता इस सवाल से बहुत परेशान हो गयी , वो बार बार कोशिश करती पुरानी फाइलों को उलटते पुलटते हुए इस सवाल का जवाब खोजते हुए | 

इस पूरे हफ्ते नमिता अच्छे से सो नहीं पाई और 3 शिकायतें भी डाल चुकी थी अपनी टीम के खिलाफ बीच में काम रोकने की बात पर , पर फॉलोअप इस लिए नहीं लिया क्यूंकि बॉस यानि आरव का दिया हुआ टास्क पूरा नहीं हुआ था |

हफ्ता बीत जाने के बाद भी नमिता नहीं जान पाई थी कि पैकेजिंग डिपार्टमेंट बेस्ट क्यूँ है ? बार बार काम रोकने की बात पर जब नमिता ने चौथी शिकायत डाली तो आरव ने उसे अपने केबिन में बुला लिया
सो नमिता मिला जवाब ? आरव ने मुस्कुराते हुए पूछा
सॉरी सर नहीं मिला पर मैं सारे डाटा को स्टडी कर रही हूँ जल्द ही मैं आप को अपनी रिपोर्ट दूंगी | नमिता ने सब कुछ एक साँस में कह दिया
पर सर एक सीरियस कंसर्न है पैकेजिंग यूनिट हर 2 घंटे में आधे घंटे के लिए बंद कर दी जाती है जिससे वक़्त का नुकसान होता है पूरी टीम काफी बाद तक भी रूकती है ,नमिता ने अपनी समस्या बताते हुए कहा |
पर जहाँ तक मुझे पता है पैकेजिंग यूनिट का एक भी टास्क पेंडिंग नहीं है और वो लोग ओवरटाइम भी नहीं ले रहे ? आरव ने सवाल करते हुए कहा
क्या तुमने कभी किसी से पूछा ? कि वो ऐसा क्यूँ करते हैं ? आरव ने सवाल पे सवाल दागा
सर सुपरवाइजर से क्या पूछना ? उसे तो आर्डर देना होता है और वो मेरा कहा मानता भी है  | नमिता ने बड़े कॉलेज के बड़े एटिट्युड को सामने रखते हुए कहा |
नमिता कभी तुम पैकेजिंग टीम के रहीम चाचा से मिली हो ? आरब ने पूछा
आरव के मुहँ से किसी के नाम के आगे चाचा सुन कर उसे अजीब लगा क्यूंकि कॉलेज की बड़ी बड़ी बिल्डिंगों में तो उसे किसी भी स्टाफ को सर मैम के अलावा तो कुछ भी नहीं सिखाया था |
नहीं सर नहीं मिली नमिता ने घबरा कर कहा |
नमिता हमारी कंपनी का सक्सेस का फंडा तुम्हें पता है किस ने ईजाद किया है ? रहीम चाचा ने .. अराव ने एक ही लाइन में सवाल और जवाब दोनों को रखते हुए कहा |
वो कैसे सर ? नमिता को कॉलेज की पढाई नया समझने को मिल रहा था कुछ |
9 साल पहले मैंने जब कंपनी शुरू किया था तो मेरे पास कुछ एक बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनीयों का अनुभव था एक विदेशी यूनिवर्सिटी से एम्.बी.ए की डिग्री थी पर फिर भी मैं  मुनाफा नहीं कमा पा रहा था  | एक दिन मैं अपने ऑफिस में यूँ ही परेशान बैठा था तो रहीम चाचा ने मुझे पानी का ग्लास देते हुए कहा कि सर छोटे मुहँ बड़ी बात पर मैं आप को समस्या को सुलझा सकता हूँ | उन्होंने मुझे कंपनी को एक परिवार की तरह चलाने को कहा हर एक टीम की दिक्कतों को खुद सुनने को कहा | ये बातें मुझे किसी एम्.बी.ए प्रोग्राम ने नहीं सिखाई थी  और एक ख़ास बात उन्होंने मुझ से कही
क्या सर ? नमिता ने पूछा
उन्होंने मुझे कहा सर हमारी कंपनी में पैकेजिंग टीम में कई मुस्लिम परिवारों से हैं रमजान के पाक महीने में वो रोज़े रखते हैं , पैकेजिंग में स्पीड से काम होता है जिससे वो थक जाते हैं अगर हम हर २ घंटे में आधे घंटे का ब्रेक दें और थोडा सा ऑफिस टाइम बढ़ा देंगे तो काम भी नहीं रुकेगा और टीम भी नहीं थकेगी | क्यूंकि साल में २ महीने छुट्टी तो नहीं कर सकते न ?
मैं उस वक़्त सारी कैलकुलेशन लगा कर इस बकवास आईडिया को सुन कर कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो ?
सर ऐसा जरुर होगा और अगर नहीं हुआ तो आपकी हर सजा मुझे मंज़ूर होगी | रहीम चाचा ने जवाब में कहा
नमिता एक वो वक़्त था और एक आज कंपनी कभी घाटे में नहीं गयी , कंपनी चलाने के तो सारे प्रोग्राम है पर परिवार चलाना कोई नहीं सिखाता उस के लिए रहीम चाचा जैसे लोग ही ज़िन्दगी के किसी मोड़ में मिलते हैं |
तभी केबिन के दरवाज़े पर दस्तक हुई , दरवाज़े पर रहीम चाचा थे | नमिता अपनी सीट से उठी
अरे मैडम बैठिये बैठिये वो कल ईद है न तो कई लोग कल सुबह के वक़्त नहीं आ पाएंगे तो आधे दिन की छुट्टी मिल जाती तो ? टीम ने नमिता के गुस्से को देखकर रहीम को आगे करते हुए भेजा था |
नमिता केबिन से बाहर आई और पैकेजिंग यूनिट की तरफ बढ़ी  , आरव और रहीम भी पीछे पीछे हो लिए | नमिता को देख सभी खड़े हो गये
ईद मुबारक सभी को और कल की छुट्टी है और हाँ परसों मेरे लिए सिवाई लाना मत भूलना
सभी में ख़ुशी की लहर दौड पड़ी |
ये ईद नमिता के लिए सीख का नया तौहफा लायी थी जिसमें उस का परिवार अब बढ़ गया था और उस में कई लोग उस की कंपनी के शामिल हो चुके थे और वो पैकेजिंग यूनिट की हेड से इस परिवार का हिस्सा बन चुकी थी | 
  

   





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