राखी वाली चिट्ठी और बराबरी की तैयारी

प्यारी बहिन
हाँ तुझे बार बार सताने वाला और सिर्फ पीछे से तेरा ध्यान रखने वाला भाई तुझे आज सीधे ख़त लिख रहा है | मुझे कई बार लगता था कि ये बातें मैं तुझ से कहूँ ज़िन्दगी के अलग अलग वक़्त पर पर मैं कभी कह नहीं पाया इस लिए आज तुझे बहुत कुछ कह रहा हूँ |
मैंने तुझे बहुत बार छोटी छोटी बातों पर सब का साथ न मिलने पर हारते हुए देखा है | बहुत बार चीजें हमारे नज़रिए में सही होती है पर सामने वाला का नजरिया वो सब नहीं देख पाता | अगर तुम्हें लगता है कि तुम सही हो या फिर तुम ख्वाइश रखती हो सही होने की तो भिड़ जाओ, किसी और के लिए नहीं बल्कि खुद के लिए घर वालों से, जमाने से किसी से भी क्यूंकि जिस दिन तुम खुद को सही साबित कर दोगी उस दिन सारी दुनिया तुम्हारी मुट्ठी में होगी | इस दौरान अगर तुम हार के ठोकर खा भी गयी तब भी ये याद रखो कि तुम मजबूत हो के दो कदम आगे ही बढ़ी हो पीछे नहीं गिरी | हार के सवालों से डरो नहीं उस का भी सामना करो |

दुनिया कहती है नारी सहनशीलता की मूर्ति होती है , उन दुनिया वालों के इस विचार को किनारे डाल दो क्यूंकि तुम्हे अपनी ज़िन्दगी खुद गढ़नी है तुम्हारे परिवार वाले,तुम्हारे दोस्त,तुम्हारे ऑफिस वाले तुम्हें इस में मदद करेंगे पर तुम्हें खुद ही खुद को बनाना होगा | दुनिया को अपने चश्में से देखो ,सीखो नया कुछ रोजाना | खुद को कुछ चीजों तक में ही न समेट दो | अगर बाहर की तुम्हें अच्छी समझ हो तो घर की भी समझ तुम्हें उतनी ही होनी चाहिए | अगर तुम दुनिया के सामने प्रेजेंटेशन दे रही हो तो पाँव में मोच आने पर सरसों के तेल में लहसन गर्म करके मालिस करने पर दर्द कम होता है के ज्ञान की पोटली भी तुम्हारे पास होनी चाहिए |
तुम्हें मुझ से ज्यादा अच्छे से पता है कि जिस समाज में हम रहते हैं वहाँ महिला और पुरुष की बराबरी की बातें कम ही होती है | एक नजरिया यह है कि इस बात पे हंगामा करो कि मैं ये नहीं करुँगी , समाज हाय हाय, दूसरा तरीका ये हो सकता है कि मैं बदलाव की शुरुवात अपने घर से करूँ और पहले उन लोगों को बदलू जो मेरे अपने है | तुम पापा से कपड़े धुलने को कह सकती हो , मुझ से झाड़ू मारने को या कल के दिन जब तुम्हारी शादी हो जाए तो अपने पति को प्यार से बराबरी की बातें समझा सकती हो ,बराबरी में काम करना सिखा सकती हो ताकि कल अगर तुम्हारें बच्चे हों तो उनका जन्म उस घर में हो जहाँ सब बराबरी पर बिस्वास करतें हो | ये तरीका जरा लम्बा जरुर है पर पीढियां सुधारने वाला है |
रिश्ते हमारी ज़िन्दगी में वही काम करतें हैं जैसे साईकिल के पहिये के लिए बॉल बेयरिंग | हमें उस पर कभी कभी ग्रीस या तेल भी डालना पड़ता है जिससे साईकिल का पहिया अच्छे से चलता रहे | ज़िन्दगी के पहिये को बराबर घुमाने के लिए हमें रिश्तों को इज्ज़त और वक़्त का ग्रीस देना पड़ता है ताकि वो अच्छे से चल सकें | अगर तुम्हें कभी लगे कि ये रिश्ते तुम्हारी ज़िन्दगी में बड़ी रुकावट बन रहे हैं जो कि वक़्त और इज्ज़त की ग्रीस डालने से भी नहीं ठीक हो रहे तो खुद को उन रिश्तों से किनारे करने में ही भलाई है | किसी रिश्ते को इस कड़वाहट पर कभी मत छोड़ देना कि तुम्हें उन रिश्तों से नज़रें चुरानी पड़ें |       
   ज़िन्दगी में बड़े सपने देखो ,उन्हें हासिल करने की कोशिश करो जीतो,हारो,सीखो,घूमों क्यूंकि तुम्हें केवल तुम ही गढ़ सकती हो बाकी कोई और नहीं.
इस रक्षा बंधन मुझ से नहीं खुद से ये वचन लो कि तुम चाहे ज़िन्दगी की कोई भी मुश्किल हो ज़िन्दगी जीनें का फलसफा कभी नहीं खोओगी | क्यूंकि इस दुनिया में तुम्हारे लिए कोई सबसे इम्पोर्टेन्ट है तो वो सिर्फ तुम हो अपना ख़याल रखना |
तुम्हारा भाई
बिमल    

    
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2 comments:

  1. बिमल,आपका बहुत-2 शुक्रिया इतनी बडी बात इतने आसान लफ़्ज़ों मे समझाने के लिए।

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