आमिर खान के नाम ख़त || सत्यमेव जयते पे पलीता


नमस्ते आमिर बाबू,
कैसे हैं , जो किस्से कहानियां आप कह रहे हैं समझ सकता हूँ आप के दिल में क्या चल रहा है | सच कहूँ तो मोदी जी जिस दिन से प्रधानमंत्री बने थे मुझे यही उम्मीद थी कि यही सब देश में होने वाला था | राजनैतिक,धार्मिक,बौद्धिक स्वतंत्रता पर जिस तरह के कुठाराघात हुए हैं कई सवाल खड़े करता है ये | देश में माहौल वाकई बहुत ख़राब है | मुद्दे अब इन्टरनेट में चलने वाले पॉपअप की तरह हो गये हैं मुझे सच में याद नहीं आ रहा बिहार इलेक्शन के बाद मैंने “गाय” पर कोई अच्छी खबर या डिबेट देखी हो | भटक गये हैं हम बहुत ज्यादा | यहाँ पर लेखकों के अवार्ड वापसी पर खूब हंसी ठट्ठा हुआ क्यूंकि चाहे भले ही वो अपनी भाषा या ज्ञान के सर्वश्रेष्ट हों पर वो उँगलियों पर गिने जाने वाले चंद लोग हैं , उनका मजाक उड़ाना बहुत आसान है पर मुझे एक भी हास्य व्यंग फौजियों पर उड़ता सुनाई नहीं दिया, क्यों ? अजी वोट बैंक हैं वो पूरे देश की कई लोकसभा विधानसभा सीटों का भविष्य तय करते हैं वो फौजी | हाँ बाबू सब वोट बैंक की राजनीति है |

पर मैं आप को ये सब क्यूँ सुना रहा हूँ क्यूंकि अधिकतर बातें आप को मुझ से ज्यादा ही अच्छी तरह से पता होंगी |    

"कोई भी देश परफेक्ट नहीं होता उसे परफेक्ट बनाना पड़ता है "
आमिर बाबू आप की ही फिल्म "रंग दे बसंती" का डायलॉग है न ये, ये वही फिल्म है जिसे मैं आजतक 100  से ज्यादा बार देख चुका हूँ जब भी मैं यहाँ के सिस्टम से परेशान होता हूँ तो अन्दर छटपटाहट होती है तो इसी फिल्म को देख कर खुद को मोटिवेट करता हूँ | कॉलेज में पढने वाले अधिकतर लड़के “सत्यमेव जयते” के सारे सीजन के विडियो अपने पास रखते हैं और देश गर्व करता है आप पर कि देश के मुद्दों को इस तरह से पहली बार उठाया गया | दुनिया भर में “अतुल्य भारत” से जो आप ने हमारी इमेज गढ़ी थी वो आप एक स्टेज से भरभराकर कर गिरा दी ....
मैं सहमत हूँ देश में हालात ठीक नहीं है पर यही बात अगर आप अपनी किसी फिल्म या डाक्यूमेंट्री के माध्यम से कहते तो शायद उस बात में अलग वजन होता | आप की कही बात ने असहिष्णुता पर बहस घुमाने से ज्यादा हिन्दू मुस्लिम मुद्दे को हवा दे दी है | आप के लिए दुनिया के किसी भी कोने में रहना आसान है पर देहरादून में बंजरावाला के चाँद चक इलाके में रहने वाले मुश्ताक चचा कैसे किसी पर विश्वास करें ? कैसे वो अपने बच्चे  को पढने या नौकरी करने बाहर भेजें क्यूंकि उनकी कौम के सबसे बड़े कलाकार ने तो कह दिया कि उन का परिवार यहाँ के माहौल देख के देश छोड़ के जाना चाहता है ....
अपनी बात कहना जरुरी है , विरोध प्रतिरोध करना उस से जरुरी है, क्यूंकि विरोध तंत्र के खिलाफ होता है किसी एक आदमी के खिलाफ नहीं | आमिर भारत ने आप को गढ़ा है आप ने खुद पे मेहनत की पर उस मेहनत की कद्र पूरे भारत ने की |
आप बतिया कर हंगामा कर करेंगे उम्मीद नहीं थी , आप से एक नए तरह की विरोध की उम्मीद थी , आप से उम्मीद नहीं थी कि आप भारत को धडों में बाँटने की कोशिश करेंगे , आप से उम्मीद नहीं थी कि आप भागने की बात करेंगे ...
केवल रंग दे बसंती का डायलॉग "कोई भी देश परफेक्ट नहीं होता उसे परफेक्ट बनाना पड़ता है "ही सुना देते जब किरन ने आप से देश छोड़ने की ये बात कही थी....
आप ने निराश किया आमिर... आज लैपटॉप से “रंग दे बसंती” को डिलीट मारने का मन कर रहा है | आप ने सत्यमेव जयते बना कर जितना किया धरा था आप के स्टेटमेंट से उस पे पलीता मार दिया | आप बड़े लोग है कहीं भी आ जा सकते हैं पर मुझे वाकई डर रहीम..रहमान ..सुल्तान चचा का लग रहा है कि उन की ज़िन्दगी पर आप की कही बात का क्या असर होगा...
आप तो खैर मुझे जानते नहीं है फिर भी आखिर में चिट्ठी लिखने वाला अपना नाम तो लिखता ही है
बिमल रतूड़ी   
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2 comments:

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  2. बहुत ही गंभीर || मैं तो कहता हूँ कि इसे अधिक से अधिक शेयर किया जाये,...पर फिर भी सुधार के तौर पर कहना चाहुगा कि अभी तक आपने ये बताया कि आमिर को क्या करना चाहिए था, साथ में और जोड़े कि अब, भारत की जनता को क्या करना चाहिए?, या भारतीय जनता के एक विशेष आयु वर्ग (जैसे युवा) को क्या करना चाहिए ? मुझे लगता है तब आपके लेख की प्रासंगिकता बढ़ेगी और लेख का उद्देश्य भी पूरा होगा ||| फिर भी सराहनीय प्रयास """

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