फिर भी हिंद को बदलना है...


हिंद में है आग क्यूँ?
लुट रहा समाज क्यूँ?
मिट रहे ज़ज्बात क्यूँ?
बिक गया ईमान क्यूँ??
कोई तो मुझे बताये...

जल रही क्यूँ आज नारी?
बढ़ी क्यूँ भ्रस्टाचार की बीमारी?
क्यूँ बिक रही है डिग्री सारी?
कौन से कल की है ये तैयारी?
कोई तो मुझे बुझाये...    

लोग सब बेमान क्यूँ?
जनता भूखों परेशान क्यूँ?
नेता इतने हराम क्यूँ ?
और प्रशासन नाकाम क्यूँ ?
कोई तो मुझे समझाए....

पस्त है यूवा पीढ़ी सारी...
और मस्त है जनता सारी... 
राह क्या है अब हमारी?
कैसे अंधियारे कल की सवारी?
कोई तो मुझे दिखाए ...

मिल जाये जवाब अगर
दुबारा सोचना फिर मगर
चाहे कठिन है ये डगर
फिर भी हिंद को बदलना है.....
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ख़ुशी मुझे है...


ख़ुशी मुझे है की तुम ने अपनी ख़ुशी पाई है,
उस में तुम खुश हो और तुम्हारी पूरी दुनिया समाई है|
क्या हुआ जो मुझे मेरा प्यार नहीं मिल सका?
क्या हुआ जो मुझे तेरा साथ नहीं मिल सका,
गलती मेरी ही है इस में,
जो मै सोचा धरती आसमान को मिलाऊंगा,
आसमा से करूँगा बातें,धरती को चिढाऊंगा,
टुटा मेरा सपना चूर चूर आज हो गया,
फिर भी खुश मै हूँ कि तुम ने अपनी खुशियाँ पाई है,
जिस मै तुम खुश हो और तुम्हारी दुनिया समाई है|
  खुश हूँ मै, जो जिंदगी में तेरे उल्लास है,
भुला तो कब का दिया होगा,
क्यूंकि बिमल तो पुरानी बात है,
पर मै नहीं भुला पाया,
क्यूंकि तू ही इक जीने का सहारा है,
तेरे बिना बिमल आज भी बेसहारा है,
पर छोड़ इन बातों को, इन बातों का न कोई अब मतलब है
फिर भी खुश मै हूँ कि तुम ने अपनी खुशियाँ पाई है,
जिस मै तुम खुश हो और तुम्हारी दुनिया समाई है|
कर सको जो याद कभी,तो याद मुझे कर लेना
यादों के झरोखों से,कुछ यादें आँखों में भर लेना,
मुझे पता है उस वक़्त तेरी आँखों में आंसू आयेंगे,
जो तुझे तब भी मेरा प्यार,मेरी अहमियत बतायेंगे,
शायद तब देर हो जाये,जिंदगी का कारवां रास्ता बदल जाये,
पर छोड़ तब की तब देखेंगे,किसने सब कुछ पाया है
फिर भी खुश मै हूँ कि तुम ने अपनी खुशियाँ पाई है,
जिस मै तुम खुश हो और तुम्हारी दुनिया समाई है|
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